कामनाओं का नियन्त्रण

 

      मेरे बच्चे, नीरोग होने के लिए केवल इन अनुचित अभ्यासों को पूरी तरह बन्द करना ही अनिवार्य नहीं है बल्कि अपने विचार और संवेदना से इन सभी अस्वस्थ कामनाओं से छुटकारा पाना भी अनिवार्य है क्योंकि कामनाएं ही इन्द्रियों और अवयवों को क्षुब्ध करती और उन्हें बीमार बनाती हैं । तुम्हें कठोरता के साथ सब कुछ साफ कर देना होगा और इसके लिए तुम्हारा संकल्प पर्याप्त शक्तिशाली नहीं है; मेरे संकल्प का आवाहन करो, सचाई के साथ उसे बुलाओ और वह तुम्हारी सहायता के लिए मौजूद होगा । तुम्हारा यह कहना ठीक है कि मेरी सहायता से तुम निश्चय ही जीत सकोगे । यह सच है लेकिन तुम्हें सचाई के साथ इस सहायता को चाहना होगा और सब परिस्थितियों में तथा अपने अन्दर काम करने देना होगा ।

 

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( किसी साधक ने माताजी से कहा कि किसी गम्भीर बीमारी को ठीक करने के लिए माताजी अपनी आध्यात्मिक शक्ति का प्रयोग करें । )

 

अगर तुम्हारा अपनी कामनाओं पर कोई संयम नहीं है तो शक्ति काम नहीं कर सकती ।

६ सितम्बर, १९५९

 

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तुम्हारा अनुमान ठीक हे ।

       अपने पिछले पत्र में मैं खाने की लालसा की बात कर रही थी । जब तक तुम अपने खाने पर नियन्त्रण न रखोगे, तुम हमेशा बीमार बने रहोगे ।

१४ सितम्बर, १९५४

 

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        भोजन के लालच पर विजय : अच्छे स्वास्थ्य की प्रतिज्ञा ।

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